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rogan art

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  T raditional Indian handicrafts reflect the culture and history of the place they come from. One such unique art form is Rogan painting. This rare craft is practised by a lone Muslim family in India, the Khatris, who call the sleepy hamlet of Nirona in Gujarat’s Kutch district their home. This family of traditional artists has steadfastly kept this intriguing craft alive for over three centuries, protecting it from vanishing into the folds of history. The Prime Minister of India, Narendra Modi, gifted a couple of exquisite handcrafted Rogan paintings to the US president, Barack Obama, during his visit to the US in 2014. The word  rogan  means oil in Persian. In this art form, paint made from thick brightly coloured castor seed oil is used to paint on fabric. Castor is a crop commonly grown in the Kutch region of Gujarat and the artists source it from the local farmers. To prepare the paint, castor oil is heated in a vessel and continuously stirred for more than 12 hours till it catch
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  उन दिनों गुजरात बदल रहा था भूकंम्प के बाद से गुजरात में सड़कों का जाल सा बिछ गया था। बिजली की आवग बढ़ गयी थी। सिचाई की व्यवस्था खूब थी। नए नए पर्यटन की संभावनाएं तलाशी जा रही थी नित पुरानी कलाओं को सवारा जा रहा था। पहले समस्या यह थी की गुजरात कोई टूरिस्ट आता जाता नहीं था। तो कला के कद्रदान बह बहुत सिमित थे। अब समय बदल रहा था। यही सही मौका था। इन्ही दिनों के बीच एक पक्के गुज्जू लड़के और ऋतू की प्रेम कहानी कॉलेज की दीवारें लाँघ केर एक दिन पहुच जाती हैं सुदूर कच्छ गुजरात के नीरोना गाँव की ओर जन्हाँ उन्होंने रोगन आर्ट को देखा इसी चनिया चोली , काठी की एम्ब्रोडरी वाले सूट, बांधनी वाला दुप्पटा, पटोला वाली चूनरी, जरी के काम वाले रुमाल और तांगलिया सूट के रंगों के बीच मगनलाल थाकोरदास बालमुकुंद दास आर्ट कॉलेज सूरत के स्टूडेंट जब पहुचे तत्कालीन गुजरात के मुखमंत्री नरेन्द्र भाई के पास अपनी रोगन कला लेकर पहुचे तो वो बोले :- शाबाश । रोगन कला को दुनियां के कोने कोने में ले जायेंगे भगवन ने चाहा तो आपका नाम दुनियां में होगा।इस कला को एक दिन पूरी दुनिया सराहेगी पर तू सही गुजराती दिमाग है तो दो पैसा त
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  कुछ कही  -  कुछ सुनी सी      गांव में पहले जब रिक्शा पर भोपू बांध कर फिल्मों का प्रचार होता था तो बोलते थे " मार धाड़ सेक्स सस्पेंस से भरपूर महान पारिवारिक चित्र देखिये लक्ष्मी टाकीज में अगले शुक्र वार से। तो मेरी कहानिया भी मार धाड़ सेक्स सस्पेंस से भरपूर महान पारिवारिक मनोरंजन से भरपूर हैं। एक बार पढ़िए जरूर ।  सब जमा पूजी में से कुछ रंग निकाल कर " कुछ कही - कुछ सुनी सी " के माध्यम से रख रहा हूँ। । कहानियां हमेशा से कुछ कही और कुछ सुनी सी होती है। क्योकि कहानियां   हमारे आपके हम सब के बीच में ही रहती हैं। कहते हैं हर एक के पास एक कहानी तो होती ही है जिसे वह लोगो से साझा कर  सके। किस्सागोई बचपन में माँ की कहानियों से शुरू होती है और दोस्तों , पास पड़ोस के लोगो से होते हुए स्कूल , कॉलेज के गलियारों से होती हुई , बस और ट्रैन से सफर करती हुई , पानी में तैर कर , हवाओं के उड़ कर खुश्बू सी फ़ैल जाती है। मेरे पास भी कुछ कहानियां है। कुछ मेरी अपनी। कुछ अपने आप से निकली , कुछ इतिहास से उड़ाई , कुछ पड़ोस से उधार ली हुई , कुछ खुद ही कहानियों में से निकली हुई । बचपन से ही पढने का शौ
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  इंदिरा जी   को अपने आस पास वो ही लोग पसंद थे जो उनसे ज्यादा जानकर हों . वह ये मान कर चलती थी कि वह चाहे जिस भी विषय पर बोले सामने वाला उसके बारे में सब कुछ जनता होगा . इसीलिए शायद इंदिरा जी को मेरी आदत लग चुकी थी . रोज़ रोज़ के बवाल पचड़े . इस इमरजेंसी   ने सब कुछ फीका फीका सा कर दिया था . सुरवा को हसीना फैमिली से कुछ ज्यादा ही लगाव था . फिर वह हमारी स्पेशल गेस्ट भी थी . इंदिरा जी ने उस दिन खुद ही बोला था प्रणव - बंगाली भद्र पुरुष   होने के नाते आपकी भी जिमेदारी है शेख परिवार . हसीना और सुरवा ( मेरी अर्धांग्नी - धर्म पत्नी ) दोनों को संगीत में सामान रूचि थी . अक्सर हम लोग छुट्टियों में पिकनिक पर दिल्ली में ही आस पास निकल जाया करते थे . वैसे तो उस परिवार पर खतरा हमेशा मड़राता था और आर एंड डब्लू की इनपुट्स भी थी पर भद्रो बोंगली मानुष . इतनी आसानी से न मनबो ..................... इमरजेंसी वाला इतिहास       इतिहास के अनहोने मोड़ पर एक अनचाहा