कुछ कही - कुछ सुनी सी गांव में पहले जब रिक्शा पर भोपू बांध कर फिल्मों का प्रचार होता था तो बोलते थे " मार धाड़ सेक्स सस्पेंस से भरपूर महान पारिवारिक चित्र देखिये लक्ष्मी टाकीज में अगले शुक्र वार से। तो मेरी कहानिया भी मार धाड़ सेक्स सस्पेंस से भरपूर महान पारिवारिक मनोरंजन से भरपूर हैं। एक बार पढ़िए जरूर । सब जमा पूजी में से कुछ रंग निकाल कर " कुछ कही - कुछ सुनी सी " के माध्यम से रख रहा हूँ। । कहानियां हमेशा से कुछ कही और कुछ सुनी सी होती है। क्योकि कहानियां हमारे आपके हम सब के बीच में ही रहती हैं। कहते हैं हर एक के पास एक कहानी तो होती ही है जिसे वह लोगो से साझा कर सके। किस्सागोई बचपन में माँ की कहानियों से शुरू होती है और दोस्तों , पास पड़ोस के लोगो से होते हुए स्कूल , कॉलेज के गलियारों से होती हुई , बस और ट्रैन से सफर करती हुई , पानी में तैर कर , हवाओं के उड़ कर खुश्बू सी फ़ैल जाती है। मेरे पास भी कुछ कहानियां है। कुछ मेरी अपनी। कुछ अपने आप से निकली , कुछ इतिहास से उड़ाई , कुछ पड़ोस से उधार ली हुई , कुछ खुद ही कहानियों में से निकली ...
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