कृष्ण भक्ति और मुसलमान कवि ..

कृष्ण भक्ति और मुसलमान कवि ..
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भारतीयता एक संस्कृति है, राष्ट्रीयता या कोई जातिय पहचान नहीं और चाहे राम हो या कृष्ण, हरि हो या हर, है वे इस संस्कृति के अंग ही | इनके अस्तित्व पर और सही या गलत होने पर उठ रहे सवालो के बीच इस बात से इंकार करना कठिन है, कि इन्होने भारतीय मानस को प्रभावित नहीं किया | भारतीय वांग्मय में इनका उल्लेख हमेशा ही इन्हें धर्म या जाति से परे रख कर होता रहा | भारतीय कवियों ने, धर्म से ऊपर उठ कर इन्हें हमेशा ही अपना प्रतीक बनाया | बात मुसलमान कवियों की करे तो सूफीवाद में अमूर्त रूप से प्रेम के प्रतीक के रूप में कृष्ण खूब चित्रित हुए, चाहे वो मंझन रहे हो, या कुतुबन या फिर उस्मान, अगर उनकी कृतिया रसीली है, तो उसके मीठे का स्रोत कृष्ण रहे है | कृष्ण जन्माष्टमी पर ऐसे ही कुछ मुसलमान कवियों की कृतियों में शामिल कृष्ण, पेश है ;-

***रसखान ***
गावैं गुनि गनिका गंधरव औ नारद सेस सबै गुन गावत।
नाम अनंत गनंत ज्यौं ब्रह्मा त्रिलोचन पार न पावत।
जोगी जती तपसी अरु सिध्द निरन्तर जाहि समाधि लगावत।
ताहि अहीर की छोहरियाँ छछिया भरि छाछ पै नाच नचावत।
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***अमीर खुसरो***
बहुत कठिन है डगर पनघट की।
कैसे मैं भर लाऊं मधवा से मटकी
मेरे अच्छे निजाम पिया।
पनिया भरन को मैं जो गई थी
छीन-झपट मोरी मटकी पटकी
बहुत कठिन है डगर पनघट की।
खुसरो निजाम के बल-बल जाइए
लाज राखी मेरे घूंघट पट की
कैसे मैं भर लाऊं मधवा से मटकी
बहुत कठिन है डगर पनघट की।
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***अब्दुर्रहीम खान खाना***
धूर धरम निज सीस पर, कहु रहीम केहिकाज,
जिहि रज मुनि पत्नी तरी, सोई ढूँढ़त गजराज।
(यहाँ सन्दर्भ, राम का है| )
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***ताज***
(ताज एक कवियत्री थी, जिनका काल 1644 ई. माना जाता है, इन्होने कृष्ण को अपना प्रियतम मानकर कविताए लिखी थी ।)
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सुनो दिलजानी, मेरे दिल की कहानी तुम
दस्त की बिकानी बदनामी भी सहूँगी मैं
देवपूजा ठानी मैं निमाज हूँ भुलानी
तजे कलमा कुरान सारे गुनन गहूँगी मैं
श्यामला सलोना सिरताज सिर कुल्ले दिये
तेरे नेह दाग में निदान है दहूँगी मैं
नंद के कुमार कुर्बान ताणीं सूरत पै
हौं तो तुरकानी हिंदुआनी ह्वैं रहूँगी मैं
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***शेख***
(शेख भी एक कवियत्री थी जिनका समय 1694 ई. का है, इनकी अधिकांश रचनाएँ शृंगाररस की हैं, जिनमे से कुछ में कृष्ण से लौकिक प्रेम प्रदर्शन भी है । )
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मधुबन भयो मधु दानव विषम सौं
शेख कहै सारिका सिखंड खंजरीठ सुक
कमल कलेस कीन्हीं कालिंदी कदम सौं
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